ना किसी का शोक.. ना किसी का क्षय..
ना किसी का मोह.. ना किसी का भय..
ना किसी की प्रीत.. ना कोई लगन..
ना किसी के अश्रु.. ना कोई रुदन..
ना किसी का काल.. ना कोई जीवन..
ना कोई विच्छेद.. ना कोई मिलन..
ना वस्त्र ही मलिन.. ना ही पावन..
ना तो मैं राम.. और ना ही रावण..
ना ऋतु शरद.. ना ही श्रावण..
ना कंठ जनेऊ.. ना अस्त्र ही धारण..
सब क्रोध मोह के बंधनो से मुक्त हो जाना..
यही है भारत पार्थ से.. श्री कृष्ण हो जाना ।