मानव ही तो मानवता के सबसे बड़े क्षत्रु हैं..
क्या युधिष्ठर क्या दुर्योधन दोनों ही तो कुरु हैं
दो अनभिज्ञ विचारों ने ही तो हैं नगर उजाड़े..
सदियों से यही प्रमाणित करते काल-चक्षु हैं
ये मेरा रंग, ये मेरा चोगा और ये मेरा ध्वज है..
पृथ्वी के हर कोने में, इस बात से युद्ध शुरू हैं
नरसंहारों की गिनती से तो इतिहास पटा पड़ा है..
वो क्या था हिटलर आज तो सब, उसके भी गुरु हैं
रक्त बहेगा रक्त के बदले, शील के बदले शील..
फिर उसको न्याय सिद्ध ठहराते, ऐसे वाकपटु हैं
धर्म-देश की आड़ में तूने कुकृत्य कई कर डाले..
वाह रे मानव तुझसे ज़्यादा मानवता लिए पशु हैं!
आज तो सब उसके भी गुरु हैं। शत प्रतिशत सही है।सर
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Thanks sir
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