रातों को मेरी यूँ परेशाँ ना कर..
आतिश लगा पर धुआँ ना कर
चलने दे बस यही सिलसिले..
मेरे दोस्तों की सुना ना कर
सर्द सीने से मेरे साँसे तू हटा..
यूँ बर्फ़ गला दाख़िला ना कर
कायनात देख ज़रा इत्मिनान से..
ना शोर मचा क़ाफ़िला ना कर
मैं महतब हूँ तुझ आफ़ताब से..
मेरी रोशनी से तू जला ना कर
सुकून कब तलक आएगा शायर..
मुझसे दामन ना छुड़ा रिहा ना कर
Too good
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Thank you 🙂
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