तुम दूर ही सही..
मुस्कुराओ तो कभी..
के दिन बहुत गये..
तुम्हें लिखे हुए !
कभी उस दिन जो..
मेरी आँख फड़की तो..
कह दो की तुम ना थीं..
मेरा नाम लिए हुए !
हम साथ भी तो थे..
कुछ नाराज़ भी तो थे..
उधड़ रहें हैं फिर..
ज़ख़्म सिए हुए !
क्या याद है तुम्हें..
जब लब-से-लब मिले..
ना कहना था मुझे..
जो सिलसिले हुए !
तुम हँसी तो थी..
लिए आखें पथराई..
कि दो उम्र हुई शायर
आँसू बहे हुए !