ये नक़ाब रहने दो..
हर जवाब रहने दो..
कल नहीं दिखोगे क्या?
बाक़ी हिसाब रहने दो।
हर आता अक्स..
तुमसा लग रहा है..
ये शबाब रहने दो..
आँखें ख़राब रहने दो।
जो फाड़ूँ पन्ने पुराने..
क्यूँ करते हो बहाने?
कि ये गुलाब रहने दो..
पूरी किताब रहने दो।
शब की तनहाई में..
ना खरोंचो आवाज़ें..
इसे शादाब रहने दो..
मुझे आबाद रहने दो।
मेरे दस्तखत लेकर..
सारी कायनात रख लो..
बस महताब रहने तो..
और शराब रहने दो।