कुछ कम होता ये दर्द भी नहीं
नींद नहीं आती, मदद भी नहीं
बचा के रखो उखड़ती साँसों को
ना हवा मिल रही, गर्द भी नहीं
कफ़न से अच्छा हो चेहरे पे पर्दा
मुल्क को चाहिए एक मर्द भी नहीं
आओ ढूँढते हैं किसका क़सूर ये
सूरत देखो सबकी, ज़र्द हैं सभी
किश्ते चुका रहा हर शख़्स यहाँ
हैं एक दूसरे के ही क़र्ज़ में सभी
Bahut khoob! 👌
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Dhanyawaad 🙂
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