ये परवाज़ आज की नहीं..
है आसमाँ अभी और भी
नापी कहाँ सारी ज़मीं..
है दूरियाँ अभी और भी
एक अकेले तेरे अंदर..
है कारवाँ अभी और भी
रात शायद काफ़ी ना हो..
है दास्ताँ अभी और भी
हर आह चीख कर कहे..
है कमियाँ अभी और भी
पर रग में उबल के बहे..
है गर्मियाँ अभी और भी
फ़तह एक क़िला हुआ..
है कुर्कीयाँ अभी और भी
लगे चश्मे ना उतारो..
है सुर्ख़ियाँ अभी और भी।
…Well played India ❤ Tokyo 2020.